सन्त शिरोमणि रविदास की जयन्ती मनायी गयी।
महावीर मन्दिर में आज दिनांक 09 फरवरी, 2020 को सन्त रविदास-जयन्ती मनायी गयी। इस अवसर पर महावीर मन्दिर के प्रांगण में स्थापित सन्त रविदासजी की भव्य मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया तथा आरती की गयी। इसमें महावीर मन्दिर के मुख्य पुजारी श्री सूर्यवंशी दास फलाहारी तथा रविदास सेवा समिति के श्री डोमन दासजी, पं, भवनाथ आदि सम्मिलित थे।

इस अवसर पर बोलते हुए महावीर मन्दिर के शोध एवंप्रकाशन प्रभारी पं. भवनाथ झा ने बतलाया कि मध्यकाल में सामाजिक समरसता को एक दौर चला, जिसमें जगद्गुरु रामानन्दाचार्य ने रामभक्ति की परम्परा को आगे बढाते हुए भक्ति-भाव के आधार पर सामाजिक समरसता की शिक्षा दी। इसी रामानन्दाचार्य के शिष्य सन्त रविदासजी थे, जिन्होंने कर्म करते हए भगवान् की भक्ति में लीन रहने की शिक्षा दी। इनका मानना था कि हमारे जीवन का एकमात्र लक्ष्य उस नगर को बसाना है, जहाँ किसी को कोई दुःख न रहे। उन्होंने बे-गम शहर की कल्पना की, से भारतीय दर्शन शास्त्र में दुःखातीत अवस्था कहा गया। हिन्दी जगत् की प्रख्यात कवयित्री मीरा बाई सन्त रविदासजी की शिष्या थी। सन्त रविदासजी का जन्म बनारस के आसपास माघ पूर्णिमा के दिन माना जाता है। इसी दिन इनकी जयन्ती मनायी जाती है।

इस अवसर पर रविदास सेवा समिति की देखरेख में महावीर मन्दिर की ओर से शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। यह यात्रा महावीर मन्दिर के समक्ष आकर लगभग 4.00 बजे अपराह्ण में समाप्त हुई। महावीर मन्दिर की ओर से शोभायात्रा का स्वागत किया गया तथा सन्त रविदास के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।





